उसकी उमर ही क्या है !मेरे ही सामने की उसकी पैदाइश है ! पीछे लगी रहती है मेरे कि टूअर-टापर वह मुहल्ले के रिश्ते से मेरी बहन है !चौके में रहती हूँ तो सामने मार कर आलथी-पालथीआटे की लोई से चिड़िया बनाती है !आग की लपट जैसी उसकी जटाएँ मुझ से सुलझती नहीं लेकिन पेशानी पर उसकीइधर-उधर बिखरी दीखती हैं कितनी सुंदर !एक बूंद चम-चम पसीने की गुलियाती है धीरे-धीरे पर टपके- इसके पहले झट पोंछ लेती है उसको वह आस्तीन से अपने ढोल-ढकर...
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