नए ब्लॉग का जस्टिफिकेशन!!!!

Posted by हारिल On Monday, December 15, 2008 1 comments
आज फ़िर अपने एक नए ब्लॉग पर पहला पोस्ट । जहाँ तक मुझे याद है यह मेरा छटा ब्लॉग है, जिन छह में से तीन पर तो कभी कोई पोस्ट डाली ही नही गई, एक ब्लॉग जो मेरे द्वारा चलाया जाता है लेकिन वो मेरा निजी नही है. एक, जिसपर मैं पिछले तीन महीने से आपना स्थाई ब्लॉग होने का दंभ भर रहा था तथा जिस पर हर हफ्ते एक पोस्ट डालने की कोशिश करता था एवं जिसमें पिछले दो महीने से असफल रहा था ।

मुझे यह बात बहुत परेशान कर रही है कि आख़िर ऐसा क्या है जो मुझे हर बार एक नया ब्लॉग बनने को विवश करता है , लेकिन मुझे पता है कि जो लोग इस पोस्ट को पड़ेंगे उनके लिए इससे ज़्यादा चिंता का विषय यह होगा कि मेरे पहले के ब्लॉग का क्या हुआ ?मैं शायद इस सवाल का जबाब दे पाऊं , लेकिन मुझे पता है मेरा जबाब भी मेरी ख़ुद की गलतियों को जस्टिफाई करने से ज़्यादा कुछ भी नही होगा । वैसे मेरे ख्याल से हम जो कुछ भी करते हैं वो अपने आप को जस्टिफाई करने के लिए ही करते हैं , और जब यही ख़ुद को जस्टिफाई करने कि इच्छा ख़त्म हो जाती है तो इन्सान काम करना बंद कर देता है , हाँ ये हो सकता है कि हर आदमी अपने आप को अलग-अलग छेत्र में जस्टिफाई करना चाहे, और हर आदमी के ख़ुद को जस्टिफाई करने का तरीका अलग हो, बहरहाल मेरा ख़ुद को जस्टिफाई करने का माद्यम लिखना है और जब मुझे लगने लगता है कि ऐसा कोई नही जिसके सामने मैं ख़ुद को जस्टिफाई करूँ तो मैं लिखना बंद कर देता हूँ । और जब लिखना बंद कर देता हूँ तो ब्लॉग पर मेरे पास ब्लॉग पर पोस्ट करने के लिए कुछ भी नही रह जाता, जब पोस्ट करने के लिए कोई सामग्री नही हो तो ब्लॉग के 'डेशबोर्ड ' तक जाने कि ज़रूरत भी नही रह जाती , जब ब्लॉग का 'डेशबोर्ड ' नही खुलता तो मेरे जैसा बंद जिसे ख़ुद का फ़ोन नम्बर याद करने में हफ्ते भर का समय लगता हो अपने खाते का पासवर्ड भूल जाता और फिर मुझ जैसों को यह महसूस होता है कि ख़ुद को जस्टिफाई करना होगा तो वह फ़िर से एक नया ब्लॉग बनता है ।

अब मैं आपको उन कारणों कि तरफ ले जाता हूँ जिन्होंने मुझे ख़ुद को जस्टिफाई करने कि ज़रूरत से मुक्त किया , मुझे लगता है एक व्यक्ति सबसे पहले अपने अपने 'जन्म देने वाले' फ़िर 'जिनके सहारों पे वो बढता है 'उनके , और फ़िर उस 'समाज' जो उनसब के होने का कारण होता है के प्रति जिम्मेदार होता है हो सकता है कि मैंने जो सीढ़ी बनाई है वो कुछ के लिए उलटी हो फ़िर भी इससे मेरी बातों को फर्क नही पड़ेगा. जहाँ तक पहली दो जिम्मेदारियों का सवाल है तो वो घर से दूर होने के बाद भी दूरसंचार कि सुविधाओं के कारण लगभग हर रोज़ पुरा करता हूँ हलाकि कि अभी ये जिम्मेदारी से ज़्यादा ख़ुद कि तीमारदारी ही होती है ।
अब उस जिम्मेदारी कि ओर जो 'समाज' के प्रति मेरी बनती है और जिसे उसका पुरा हक है कि वो मुझसे जस्टिफिकेशन मांगे । मैंने ने पिछले दो महीने से अपने आप को जस्टिफाई नही किया क्यों कि मुझे नही लगा कि मुझे करना चाहिए .......

आख़िर कोई क्यों आपने आप को जस्टिफाई करे भी उसके सामने जो ख़ुद अपने होने के संकट से जूझ और हो, मुझे बचपन से पढाया जाता रहा कि 'सरकारें समाज के हित के लिए बनाई जाती है' , जब से मिडिया के बारे मैं सुना तब से यही जाना की मिडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होता है, पुलिस न्याय कि रक्छक होती है, बाज़ार के बारे में मैंने पढा है की वर्तमान बाज़ार हमे चुनने की सुविधा देता है, अपनी स्कृति के बारे में जाना था कि अनेकता में एकता इसकी पहचान है...... लेकिन क्या पिछले दो महीने में जो हुआ उसका जस्टिफिकेशन हमारी सरकार, हमारी मिडिया, हमारा बाज़ार, और हमारे संस्कृति के दलाल देंगे ??? क्या हमारी सरकार हमे यह बताएगी की क्यों हम अपने ही देश में 'बिहारी' , 'गुजरती', और 'मुम्बैया' हैं, क्या सरकार के पास इस बात का जबाब है कि क्यों हमें इस बात कि गारंटी नहीं है कि टुकडों में जीने के बाद हमारी पूरी लाश को मिटटी नसीब हो. क्या हमारा मिडिया ये बतायेगा कि किस 'राम' ने या किस 'पैगम्बर' ने 'हिन्दू' या 'इस्लामिक' आतंखवाद कि स्थापना कि.....हम कब तक ये उम्मीद रखें की 'इस ब्रेक के बाद' इसके (मिडिया) सरोकार भारतीय हो जायेंगे......आखिर कब हमारा मिडिया हमे sms के जाल से आजाद करा, हमे हमारा हक दिलाने की बात करेगा ??? कब हमारी पुलिस हिन्दू या मुसलमान को नहीं पकड़ कर एक आतंखवादी को पकडेगी.....कब पुलिस नेताओं की नहीं जनता की हिफाज़त करेगी और अगर वो ऐसा नहीं कर सकती है तो इसका जस्टिफिकेशन क्या है ??आखिर क्यों हर बार 'राम' की हिफाज़त का काम किसी न किसी रावण को सोंपा जाता है....कब तक उनकी मर्यादा को सिर्फ एक ईमारत तक में सिमित कर के रखा जायेगा आखिर कब तक ????

1 comments to नए ब्लॉग का जस्टिफिकेशन!!!!

  1. says:

    Pranav Accha hai!!
    Likhte rho!!
    or padte rho!!

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