मैंने फैसला किया था कि हजारीबाग की घटना के बारे में सारी बातें बताऊंगा, लेकिन पहले मैं समझ लूँ की वहां आखिर हुआ किया? और इस प्रयास इतने दिन लग गये...... खैर अब मैं कुछ-कुछ समझ पाया हूँ की वहां जो कुछ भी हुआ हो या जो कुछ भी हुआ वह साहित्यिक तो बिलकुल नहीं था समाजिक भी नहीं था, और घटना को फिर से दुहरना उसे दुबारा पुनर्जीवित करना एक संतोष जनक बेबकूफी से ज्यादा और कुछ भी नहीं होगा। हाँ गोष्टी से कुछ बातें और सवाल जो उठ कर आये उनपर अगर विचार किया जाय तो कुछ बात बन सकती है. मसलन "वर्तमान समय में एक...
अभी कुछ देर पहले हजारीबाग से लौटा हूँ। परसों शाम के वक़्त खबर मिली की 'नामवर सिंह' वहां आने वाले हैं, प्रगतिशील लेखक संघ के द्वितीय राज्य स्तरीय सम्मलेन में. वैसे मैं खुद किसी संघ से जुडा हुआ नहीं हूँ लेकिन किसी न किसी कारण से प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यक्रमों में श्रोता के रूप में पिछले 3 वर्षों से शामिल होता रहा हूँ, ओछी राजनीति को इसका हिस्सा मानते हुए भी कुछ अच्छा सुन लेने के लालच मुझे वहां खीच ले जाती है क्यों की शहर मैं कोई और संघ या गुट साहित्यिक माहौल का निर्माण करता नज़र आता, बहरहाल मैं...
आज फ़िर अपने एक नए ब्लॉग पर पहला पोस्ट । जहाँ तक मुझे याद है यह मेरा छटा ब्लॉग है, जिन छह में से तीन पर तो कभी कोई पोस्ट डाली ही नही गई, एक ब्लॉग जो मेरे द्वारा चलाया जाता है लेकिन वो मेरा निजी नही है. एक, जिसपर मैं पिछले तीन महीने से आपना स्थाई ब्लॉग होने का दंभ भर रहा था तथा जिस पर हर हफ्ते एक पोस्ट डालने की कोशिश करता था एवं जिसमें पिछले दो महीने से असफल रहा था ।मुझे यह बात बहुत परेशान कर रही है कि आख़िर ऐसा क्या है जो मुझे हर बार एक नया ब्लॉग बनने को विवश करता है , लेकिन मुझे पता है कि जो लोग...