कभी कभी लगता है तारीखों का कोई महत्व नहीं होता, अगर उसे दर्ज़ न किया जाय। सोचता हूँ हर तारीख को दर्ज़ करूँ, डायरी लिखूँ । क्या मैं शुरुआत कर चुका हूँ शायद! एक सामान्य से बुधवार को खास बनाने का प्रयास। डायरी लिखने पर लिखने के बारे में सोचते हुए मन में बार बार पुराने परिचित का ध्यान आ रहा है उस ने अभी अभी आर चेतन क्रांति की ताज़ा कविता पर सवाल उठाते हुए कहा की क्या यह साहित्य है, बड़ी कोफ्त होती है वह लड़का कॉलेज के दिनों में कविता करना चाहता था आज कल क्या कर रहा है पता नहीं ... क्या लेखन...
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