मिट्टी की किताब

Posted by हारिल On Monday, June 13, 2016 0 comments
गुंजेश  मनुष्य और मिट्टी का संबंध कितना पुराना है यह सवाल ही बेमानी है। फिर भी जब मनुष्य ने पहली बार गीली मिट्टी को पका कर कुछ बनाया होगा तो वह मिट्टी से एक सर्जक के तौर परव् जुड़ा होगा। कितना अनूठा रहा होगा वह मिलन, मानव को सृजित करने वाली मिट्टी जब मानव के हाथों में आकार खुद एक नए रूप में सृजित हुई होगी। मिट्टी से कुछ बनाते हुए मनुष्य को ‘माँ’ होने का एहसास हुआ होगा। साथ ही मनुष्य ने ‘सीखा’ होगा चीजों को सहेजना। मिट्टी एक साथ...

ऐसे हुआ हूल

Posted by हारिल On Monday, June 13, 2016 0 comments
गुंजेश  यदि मैं आपको अभी बता दूं कि आगे के पूरे लेख में आप एक किताब के बारे में पढ़ेंगे. एक ऐसी किताब जो 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की पूर्व पीठिका का औपन्यासिक दस्तावेज होने का दावा करती है. स्वतंत्रता संग्राम की पूर्व पीठिका अर्थात ‘संताल हूल’. जिसमें पहली बार संतालों ने यह सवाल उठाया था कि यह जमीन ईश्वर की, हम ईश्वर के बेटे फिर बीच में यह सरकार कहां से आ गयी. ठीक है कि आप जानते हैं कि ‘यह आंदोलन 30 जून 1855 से सितंबर 1856 तक चला’...

गुंजेश  (1) जो खिड़की दीवार में रहती थी, और जिस दीवार में रहती थी, वह और ही मिट्टी की बनी हुई थी, दीवार में जिस जगह मिट्टी नहीं थी वहाँ खिड़की रहती थी। खिड़की में मिट्टी नहीं हवा रहती थी। हवा हमेशा टिक कर, मिट्टी की तरह, नहीं रहती थी॥ एक गुजरती थी तो दूसरी आती थी। आगे वाली हवा पीछे वाली हवा को खिड़की का पता बताते जाते थी। जैसे हवा, हवा नहीं चीटी हो। जब कोई हवा खिड़की पर बैठ कर सुस्ताने लगती, तो कमरे (चारों दीवारों, जिनमें से किसी...

डुबोया होने ने , न होता तो क्या होता

Posted by हारिल On Monday, June 13, 2016 0 comments
गुंजेश  1 तुम जवाब मत दो मैं सवाल भी नहीं करूंगा मेरा और तुम्हारा रिश्ता बादल और धूप का हो लोग, एक की उपस्थिती में दूसरे को चाहें 2 अरसा हो गया तुमसे मिले हुए अब तो तुम्हें याद भी नहीं होगा कि आखरी दिन मैंने शेव किया था या नहीं आखरी दिन तुमने कौन से रंग का सूट पहना था अब कुछ ठीक से याद नहीं पड़ता वैसे भी, कितने तो रंग पहन लेती थी एक साथ इसलिए याद नहीं अब कोई भी एक तुम मेजेंटा कहो, पर्पल कहो मुझे तो सब आसमानी लगते...