27 दिसम्बर 2008 के बाद आज फ़िर से इसी ब्लॉग पर एक नई पोस्ट .....ऐसा अकसर होता है कि आप ने सोच लिया हो की आप कोई काम नही करेंगे लेकिन फ़िर आप करते हैं .....क्या यहीं पर आदमी कमज़ोर होता है ..या फ़िर व्यक्ति वहां कमज़ोर होता है जब वह किसी खास चीज़ से दुरी बनाने की सोच लेता है ....खैर जो भी हो ...इस लगभग 1 साल (300 दिन ) में काफी परिवर्तन हुए ...अव्वल तो मुझे बी.कॉम की डिग्री मिल गई ...दूसरा मैं जनसंचार का छात्र हो गया महात्मा गाँधी अन्तराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में जिसके कारण जमशेदपुर छुटा और अब...